‘मैं हिंदुस्तानी हूं...हिंदुस्तानी के तौर पर ही मरूंगा...और मुझे दफन भी यहीं किया जाएगा।’ ये जज्बात रिटायर्ड फौजी मोहम्मद सनाउल्लाह के हैं, जिन्होंने जिंदगी के तीन दशक तक भारतीय सेना में सेवा की। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आने के बाद उन्हें गुवाहाटी से चार घंटे की दूरी पर स्थित गोलपारा के डिटेंशन सेंटर में डाल दिया गया था। मामला कोर्ट में पहुंचा। आखिरकार 8 जून को गुवाहाटी हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिली। लेकिन, तब तक सनाउल्लाह करीब सालभर का वक्त डिटेंशन सेंटर में बिता चुके थे। सनाउल्लाह से जब प्रधानमंत्री मोदी के डिटेंशन सेंटर पर दिए बयान के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने तल्खी भरे अंदाज में कहा, ‘‘अगर गोलपारा, तेजपुर और जोरहट में डिटेंशन सेंटर नहीं हैं तो क्या पिकनिक प्लेस हैं?’’ दरअसल, गोलपारा डिटेंशन सेंटर असम के 6 डिटेंशन सेंटरों में से एक है। बातचीत में सनाउल्लाह के चेहरे पर वहां उनके साथ हुए व्यवहार को लेकर मायूसी साफ झलक रही थी।