राजस्थान में फेरो के बाद और दुल्हन की विदाई से पूर्व दुल्हन पक्ष वाले दूल्हे के परिवार के बड़े और अग्रज पुरुषों ( ब्यायजी) को चवरंग (बाजोट) पर बिठाते है। उनकी खोल भरते है। उनका सोलह, श्रंगार किया जाता है, आँखो में काजल, हाथों में चुड़िया पहनाई जाती है, साड़ी पहनाई जाती है, खोल के बाद गोद भरी जाती है, ओर ब्यायजी को पेरावणी दी जाती है। और अंत मे एक थाली में कंकु के पानी और हल्दी के पानी से ब्यायजी के मोरे (पीठ) पर जोर जोर से थापे लगाये जाते है, दुल्हन की विदाई करुण वेला को यह रस्म विनोदमय कर देती है।