देश के अलग-अलग हिस्सों और उत्तर पूर्व के राज्यों में उबाल के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने धर्म के आधार पर नागरिकता तय करने वाला विवादित नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर दिया. उन्होंने कहा कि यह बिल उनकी पार्टी के घोषणा पत्र के मुताबिक है लेकिन अगर कोई यह साबित कर दे कि यह बिल भेदभाव वाला है तो वह इसे वापस ले लेंगे.
वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि देश का नागरिकता क़ानून 1955 में बना और 2019 तक इसमें आठ बार संशोधन हुआ लेकिन मौजूदा संशोधन भारत के संविधान के ख़िलाफ़ है.