वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग,
२९ नवम्बर, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
दोहा:
अधम वचन काको फल्यो, बैठि ताड़ की छाँह।
रहिमन काम न आय है, ये नीरस जग माँह॥
शब्दार्थ: अधर्मी की बातें किसी को फल नहीं देतीं, अधर्मी का आश्रित होना ताड़ की छाया में बैठने जैसा बेकार है। नीच लोगों द्वारा बहुत संग्रह कर ताकतवर हो जाने पर वह बहुत दिनों तक काम नहीं देता। यह संसार क्षण भंगुर है, किसके काम आया।
~ संत रहीम
प्रसंग:
किसकी संगति से बचना है?
कैसी संगति उचित है?
बुरी संगति कैसे पहचानें?
संगति का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
संगति कैसे चुनें?
संगीत: मिलिंद दाते