वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, विश्रांति शिविर
५ अक्टूबर, २०१९
मुंबई, महाराष्ट्र
प्रसंग:
कबीरा तेरी झोपड़ी गलकटियन के पास।
जैसी करनी-वैसी भरनी, तू क्यों भये उदास।।
- संत कबीर -
आध्यात्मिक संग्राम करने और शून्य हो जाने में क्या अंतर है?
कैसे पता चले कि मेरे लिए कौनसा मार्ग उचित है?
क्या संतों के शब्द सबके लिए एक समान होते हैं?
संगीत: मिलिंद दाते