वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२४ जनवरी, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
किससे अब तू छिपता है?
मंसूर भी तुझ पर आया है,
सूली पर उसे चढ़ाया है।
क्या साईं से नहीं डरता है?।।१।।
कभी शेख़ रूप में आता है,
कभी निर्जन बैठा रोता है,
तेरा अन्त किसी ने न पाया है।।२।।
बुल्ले से अच्छी अँगीठी है,
जिस पर रोटी भी पकती है,
करी सलाह फ़कीरों ने मिल जब
बाँटे टुकड़े छोटे-छोटे तब।।३।।
~ संत बुल्लेशाह
प्रसंग:
भगवान निर्दयी से क्यों लगते हैं?
दया क्या होती है?
संगीत: मिलिंद दाते