वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
३ मार्च २०१६
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
यदि सभी ग्रन्थों में मूल रूप से एक ही बात कही गई है, तो ग्रन्थों में अंतर क्यों दिखाई पड़ता है?
क्या ग्रन्थों को तुलना करना आवश्यक है?
ग्रन्थों को कैसे पढ़े?
क्या तुला के हाथ में है कि वो तुलना करें या न करें?
ग्रन्थों को कैसे सुनें?
विवेक का क्या अर्थ है?