वीडियो जानकारी:
संवाद सत्र
११ अप्रैल २०१३
ए.के.जी.ई.सी, गाज़ियाबाद
प्रसंग:
अतीत के ढ़र्रे को कैसे निकाले दिमाग से?
क्या पुराने रास्ते पर चल के कुछ नया पाया जा सकता हैं?
पुराने ढ़र्रे को त्यागने में क्यों डर लगता है?
कैसे जाने की हम अतीत के ढ़र्रे पर चल रहे है?