वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२० नवम्बर २०१७
अद्वैत बोधस्थल , नॉएडा
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यः सेतुरीजानानामक्षरम् ब्रह्म यत् परं।
अभयं तितीर्षतां पारं नाचिकेतम् शकेमहि।।2।।
~ कठोपनिषद, तृतीय वल्ली, श्लोक संख्या २
प्रसंग:
उचित कर्म क्या?
स्थूल कर्म कौन सा है?
कर्म कितने प्रकार होते है?
कर्म का क्या अर्थ है?
कितने प्रकार के कर्म होते हैं?
कर्म का क्या महत्व है?
सार्थक कर्म क्या होता है और इसे कैसे किया जाए?
संगीत: मिलिंद दाते