वीडियो जानकारी:
२६ अप्रैल, २०१८
अद्वैत बोधस्थल,
ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
सजातीयप्रवाहश्च विजातीयतिरस्कृतिः ।
नियमो हि परानन्दो नियमात्क्रियते बुधैः ॥ १०५॥
दृष्टिं ज्ञानमयीं कृत्वा पश्येद्ब्रह्ममयं जगत् ।
सा दृष्टिः परमोदारा न नासाग्रावलोकिनी ॥ ११६॥
अपने और पराये की पहचान कैसे करें?
क्या सत्य मात्र ही अपना है?
अपरोक्षानुभूति को कैसे समझें?
मनुष्य क्यों अपने और पराये का भेद रखता है?
संगीत: मिलिंद दाते