मन में इतनी चिंता क्यों? || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2015)

2019-11-27 3

वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
१ नवम्बर, २०१५
ए. आई. टी., कानपुर

दोहा:
चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए ।
वैद बेचारा क्या करे, कहा तक दवा लगाए ॥ (गुरु कबीर जी)

प्रसंग:
चिंता का कारण कौन है?
चिंता कैसे दूर करें?
आदमी इतना बेचैन क्यों है?
क्या इंसान की चाह ही उसकी बेचैनी है?
क्या ईश्वर ने इंसान को बेचैन बनाया?
जीवन ऊबाऊ क्यों लगता है?
जीवन चिंता में क्यों बीतता है?
मन तनाव ग्रस्त क्यों रहता है?
मन में बहुत सारी परेशानियाँ क्यों चलती हैं?
मन अशांत क्यों रहता है?
मन को शांत करने के उपाय क्या?
मन बहुत उदास और अशांत क्यों रहता है?
जीवन बासी और ऊब से भरा क्यों लगता है?

संगीत: मिलिंद दाते

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