वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१० दिसम्बर, २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
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तवैवाज्ञानतो विश्वं त्वमेकः परमार्थतः।
त्वत्तोऽन्यो नास्ति संसारी नासंसारी च कश्चन॥
अष्टावक्र गीता (श्लोक १६, अध्याय १५)
प्रसंग:
संसार माने क्या?
संसारी माने क्या?
इस संसार की सच्चाई क्या है?
सत्य और संसार में क्या अंतर व क्या समानता है?
असली मस्ती कौन सी होती है?
मस्ती का जीवन में क्या उपयोग है?
संसार की सत्यता किसमें है?
प्रेम, रिश्ते या फिर वादे, यह सब होते क्या हैं?
संगीत: मिलिंद दाते