वीडियो जानकारी:
२५ अप्रैल, २०१९
अद्वैत बोध स्थल,
ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
यमेकत्र संयमः ॥ ३.४॥
भावार्थ: ध्याता एवं ध्यान का पूर्ण तथा ध्येय (उपास्य) से एक हो जाना ही संयम कहलाता है।
~पतंजलि योग सूत्र, विभूतिपाद
योगसूत्र को कैसे समझें?
संयम का क्या अर्थ होता है?
क्या संयम से आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है?
संयम समाधि के लिए किस प्रकार उपयोगी है?
संगीत: मिलिंद दाते