वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१७ नवम्बर २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
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कठोपनिषद्, द्वितीय वल्ली, श्लोक क्रमांक 12
तं दुर्दशम् गूढमनुप्रविष्टं
गुहाहितं गह्वरेष्ठं पुराणं |
अध्यात्मयोगाधिगामेन देवं
मत्वा धीरो हर्षशोकौ जहाति ||१२ ||
प्रसंग:
माया क्या हैं?
माया कहाँ है?
सत्य क्या हैं?
जब सत्य सभी जगह है फिर माया -माया क्यों नजर आता है?
ऐसा कैसे है कि सत्य माया में छिपा नहीं वरन ज्ञात है?
मोह माया क्यों छोड़े?
क्या इस संसार में सिर्फ माया ही माया है?
माया- मोह से कैसे दूर रहे?
संगीत: मिलिंद दाते