जिन प्रभावों से मन गंदा होता है, क्यों उनके पास जाते हो? || आचार्य प्रशांत (2015)
2019-11-23 2
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शब्दयोग सत्संग ६ सितम्बर २०१५ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: जिन प्रभावों से मन गंदा होता है, क्यों उनके पास जाते हो? मन तत्काल आकर्षण में क्यों लिप्त होना चाहता है? हम बार-बार एक ही गलतियों को क्यों दुहराते रहते है?