वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
20 जुलाई 2019
अद्वैत बोधस्थल ,ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 19)
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्र्चैनं मन्यते हतम् |
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ||
भावार्थः
जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको
मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते ; क्योंकि यह आत्मा
वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी के द्वारा मारा जाता है ।।
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आत्मा क्या है?
जीवात्मा क्या है?
आत्मा का पुनर्जन्म होता है?
संगीत: मिलिंद दाते