वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
३१ अगस्त, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नोएडा
एशुं नामक एक तपस्वनी अपने जीवन के ज़ेन शिष्या अब बूढ़ी हो चुकी थी। एक दिन उन्होनें अपने शिष्यों व करीबियों से कहा कि मेरे लिए चिता तैयार कर दो। ऐसा कहने के बाद, उनके लिए तैयार की गयी चिता पर वो बीच में बैठ गयी, और शान्तिपूर्क अग्नि में अपना शरीर दाह कर त्याग दिया।
~ जेन कोआन
प्रसंग:
हम मौत से डरते क्यों है?
क्या निरर्थक जीवन ही मौत से डर का कारण है?
सही जीवन कैसे जीएँ?
जीवन को सार्थक कैसे बनाएँ?
जेन कोआन को कैसे समझें?
संगीत: मिलिंद दाते