वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१२ दिसंबर २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
आचार्य जी, कभी-कभी मुझे लगता है कि कोई गलत कर रहा है तो मैं उनको कुछ बोल नहीं पाती, मुझे लगता है लोगों को बुरा लगेगा, लोगों को तकलीफ होगी, और अगर मैं उनकी बात सुनकर हँस कर चली जाती हूँ तो क्या ये ठीक है आचार्य जी? क्या ये ठीक है ऐसा करना?
दूसरे को किस हद तक माफ़ करें?
दूसरों की गलती कितनी बर्दाश्त करें?
संगीत: मिलिंद दाते