दशहरा में शमी पूजन दूर करेगा शनि प्रकोप

2019-10-07 13

हिन्दू परंपरा में इस वृक्ष का खास महत्व है। इसे शनीदेव का साक्षात्त रूप माना जाता है और आयुर्वेद के अनुसार यह कृषि विपदा में लाभदायक है। कहते हैं कि लंका से विजयी होकर जब राम अयोध्या लौटे थे तो उन्होंने लोगों को स्वर्ण दिया था। इसीके प्रतीक रूप में दशहरे पर खास तौर से सोना-चांदी के रूप में शमी की पत्त‍ियां बांटी जाती है।

मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष के सामने शीश नवाकर अपनी विजय हेतु प्रार्थना की थी। बाद में लंका पर विजय पाने के बाद उन्होंने शमी पूजन किया था।

महाभारत अनुसार पांडवों ने देश निकाले के अंतिम वर्ष में अपने हथियार शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे। बाद में उन्होंने वहीं से हथियार प्राप्त किए थे तब उन्होंने शमी की पूजा की थी।

#Dussehra2019

Free Traffic Exchange