बद्रीनाथ की दुल्हनिया : फिल्म समीक्षा Badrinath ki Dulhania : Movie review

2019-09-20 51

स्त्रियों के हित में भले ही भारत में कितनी बात की गई हो, लेकिन लोगों की सोच में थोड़ा-सा ही फर्क पड़ा होगा। अभी भी बेटे को हथियार और बेटी को सिर पर लटकती तलवार माना जाता है। बेटी होते ही उसके माता-पिता दहेज की रकम जोड़ना शुरू कर देते हैं क्योंकि समाज की कुरीतियां ही ऐसी हैं। इस वजह से लड़कियों को लड़कों की तुलना में कमतर आंका जाता है। इन सब बातों को निर्देशक-लेखक शशांक खेतान ने 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' में समेटा है। विषय पुराना होने के बावजूद शशांक का लेखन और निर्देशन फिल्म को देखने लायक बनाता है। युवाओं की पसंद के अनुरूप उन्होंने कॉमेडी, डांस, गाने के जरिये अपनी बात को पेश किया है।