उच्चतम न्यायालय ने बैंकों के डूबे कर्ज पर भारतीय रिजर्व बैंक और केन्द्र सरकार को मंगलवार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर किस तरह से लोग और कपंनियां बैंकों का करोड़ों रुपए का कर्ज बिना चुकाए देश से बाहर भाग जाते हैं। शीर्ष अदालत की ओर से यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें हाल में एक समाचार पत्र में आरटीआई के हवाले से खबर छपी थी कि 29 सरकारी बैंकों ने 2013 से 2015 के बीच करीब 2.11 लाख करोड़ रुपए के कर्ज के मामलों को बंद कर दिया है। अदालत ने इसे स्वत: संज्ञान लेते हुए आरबीआई से उन कंपनियों और व्यक्तियों की सूची सौंपे जाने को कहा था, जिन पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 500 करोड़ रुपए या उससे ज्यादा का कर्ज बकाया है।