हिंदू धर्म में कुशा को बहुत ही पवित्र माना गया है। अनेक कामों में कुशा का उपयोग किया जाता है। श्राद्ध करते समय कुशा से बनी अंगूठी (पवित्री) अनामिका उंगली में धारण करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि कुशा के अग्रभाग में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और मूल भाग में भगवान शंकर निवास करते हैं। श्राद्ध कर्म में कुशा की अंगूठी धारण करने से अभिप्राय है कि हमने पवित्र होकर अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म व पिंडदान किया है। महाभारत के अन्य प्रसंग के अनुसार, जब गरुड़देव स्वर्ग से अमृत कलश लेकर आए तो उन्होंने वह कलश थोड़ी देर के लिए कुशा पर रख दिया। कुशा पर अमृत कलश रखे जाने से कुशा को पवित्र माना जाने लगा।