Smart Mantra: Inspiring story of Károly Takács the one handed Olympic Gold Medalist

2019-08-09 23

Karoly Takacs was a member of the Hungarian pistol shooting team in 1938 when, while serving as a sergeant in the army, a defective grenade exploded in his right hand - his pistol hand -and shattered it completely. After spending a month in the hospital, Takacs secretly taught himself to shoot with his left hand. In 1948 Takacs qualified for the Hungarian Olympic team in the rapid-fire pistol event. He was 38 years old. Takacs won the gold medal and beat the world record by ten points. Four years later in Helsinki, Takács successfully defended his Olympic title.

Smart Mantra: लाइफ में मुश्किल नहीं है कुछ भी, अगर ठान लीजिए
हमारे आसपास अधिकतर लोग असफल होने पर अक्सर अपनी किस्मत या फिर उपलब्ध संसाधनों को दोष देते हैं. जबकि कई ऐसे लोग भी हैं जो हार की परवाह किए बिना अपनी जिंदगी की रेस में जीतने के लिए हर वक्‍त जुटे रहे और जो मुकाम वो पाना चाहते थे, उससे कई गुना अधिक उन्‍होंने अचीव किया. ऐसे ही लोगों की जिंदगी हजारों लाखों लोगों को मोटिवेट करती रहती है।
आज की कहानी ऐसे ही एक शूटर की, जिसने अपनी मेहनत और जुनून के सहारे किस्मत को भी हरा दिया. बात 1938 की है. हंगरी की आर्मी में एक शूटर था करौली, जो उस देश का सबसे बेहतरीन शूटर था. सारे देश को उम्मींदें उससे जुड़ी थीं कि 1940 में होने वाले ओलंपिक्स में करौली ही गोल्ड मेडल जीतेगा. फिर एक हादसा हुआ और करौली के सीधे हाथ में एक बम फट गया. इससे उसका हाथ पूरी तरह से खराब हो गया और डॉक्टर्स ने कहा कि अब वह शूटिंग नहीं कर सकता. करौली अपने लक्ष्य से बस दो साल दूर था. उसको खुद पर पूरा विश्वास था कि वह जरूर जीतेगा. उसकी किस्मत ने उसको हराना चाहा, लेकिन वो हारा नहीं. उस हादसे के एक महीने बाद ही उसने अपने दूसरे हाथ से शूटिंग की प्रैक्टिस शुरू कर दी. उसे दुनिया का बेस्ट शूटर बनना था और उसके लिए अब उसके पास उसका बायां हाथ ही बचा था. उसने कुछ ही टाइम में अपने लैफ्ट हैंड को अपना बेस्ट हैंड बना लिया. उन दिनों हंगरी में एक शूटिंग कॉम्पटीशन हुआ. वहां देश के सारे शूटर मौजूद थे. वहां करौली भी गया और बाकी शूटर्स करौली की हिम्मत की सराहना करने लगे कि कुछ महीने पहले उसके साथ हादसा हुआ और फिर भी वह बाकी शूटर्स का हौसला बढ़ाने आ गया, लेकिन वह तो वहां पर उनके साथ कॉम्पटीशन करने गया था. वो भी अपने लेफ्ट हैंड से. उस कॉम्पटीशन को आखिर में करौली ने ही जीता. इसके बाद उसकी तैयारी थी 1940 में होने वाले अगले ओलंपिक कॉम्पटीशन की, लेकिन सेकेंड वर्ल्‍ड वॉर के चलते उस साल ओलंपिक गेम्‍स कैंसिल हो गए। इससे करौली बहुत निराश हुआ, लेकिन उसने इस बार भी हार नहीं मानी और अपने बाएं हाथ से शूटिं?