अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पाकिस्तान इसके लिए खुद जिम्मेदार है, क्योंकि देश की आर्थिक ग्रोथ को बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. वहीं, दस साल में अर्थव्यवस्था पर कर्ज़ छह हज़ार अरब पाकिस्तानी रुपये से बढ़कर 30 हज़ार अरब रुपये तक पहुंच गया है.