रवीश जी, बाकी के चैनलों पर प्रहार करने से पहले आपने ये सोचा की आप भी वही कर रहे हैं जो वे. आप भी पूर्वाग्रह से ग्रसित है, जैसे की वे. आपकी भी चहीती पार्टियां हैं, जैसे की उनकी. आपके भी राजनैतिक दृष्टिकोण है, जैसे की उनके. आपकी भी एक विचारधारा है, जैसे की उनकी. आप भी किसी पार्टी या नेता से नफरत करते हैं जैसे की वे. तो आप उनसे अलग कैसे हुए रवीश जी, आपको पत्रकारिता के अँधेरे को दिखलाने का नैतिक अधिकार किसने दिया? हमने तो नहीं दिया. तो बचा आपका चैनल या फिर आप स्वयं.