ओडिशा की 7 सीटों | कालाहांडी, ब्रह्मपुर, नबरंगपुर, कोरापुट, बालांगीर, बरगढ़ और सुंदरगढ़ का चुनावी गणित।
कालाहांडी जिले का जुगसाईपटना गांव। यहां पेड़ों की छांव में बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं। एक बच्चे ने बैट्समैन वाले ग्लब्स पहन रखे हैं। कभी भूख से होने वाली मौतों के लिए कुख्यात रहे कालाहांडी में यह दृश्य चौंकाने वाला था। मैंने सवाल किया-कहां से लाए? कक्षा तीसरी में पढ़ने वाला बबलू भी उसी चपलता से बोला- ‘नवीन सरकार’। यह महज एक उदाहरण है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की लोकप्रियता हर तरफ इसी तरह बोलती है। दरअसल राज्य सरकार ने बीजू वाहिनी के माध्यम से गांव-गांव में खेल सामग्री पहुंचाई है। हालांकि, कालाहांडी की सिर्फ यहीं एक तस्वीर नहीं है। इसी गांव में बिक्रम केथरी जैसे किसान भी हैं जो सिंचाई के साधन नहीं होने से नवीन सरकार को कोसते दिखे। यहीं सष्मिता जैसी महिलाएं भी हैं जिनके पति मजदूरी के लिए पलायन कर गए। ये वो मुद्दे हैं, जिनका सामना 19 साल से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को करना पड़ रहा है। पश्चिमी ओडिशा के बालांगीर, बारगढ़, सुंदरगढ के साथ ही कोरापुट, नबरंगपुर व ब्रह्मपुर में भी किसानों और पलायन की ही चर्चा में है। इन सात सीटों में से सिर्फ सुंदरगढ़ में पिछले चुनाव में भाजपा जीती थी, बाकी छह पर बीजद। छह में से बीजद ने इस बार पांच सांसदों के टिकट काट दिए हैं। इसे एंटीइनकंबेंसी से निपटने की रणनीति माना जा रहा है। पर सवाल यही है- यह रणनीति कितनी कारगर होगी? फैसले से नाराज कालाहांडी व नबरंगपुर के सांसद ने तो पार्टी से नाता तोड़ लिया। यहां चुनाव से पहले इतना दल-बदल हो रहा है कि हर सीट पर कोई न कोई ऐसा प्रत्याशी जरूर है जो पार्टी बदलकर मैदान में है। बता दें- ओडिशा में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं।