न कोई मुद्दा, न कोई नारा, जिसकी राज्य में सरकार, उसी का सांसद

2019-03-29 28

राजेश माली | गंगटोक (सिक्किम). पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया विसिल (सीटी) लेकर राजनीति के मैदान में एक बार फिर कूद पड़े हैं। उनकी हमरो सिक्किम पार्टी विधानसभा के साथ ही एकमात्र लोकसभा सीट पर भी लड़ रही है। उनके तीन बड़े नेता दूसरे दल में चले गए। बाइचुंग का फोकस विधानसभा चुनाव पर है और वे खुद दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। एसडीएफ और एसकेएम की नजर भी विधानसभा पर ही है, क्योंकि पिछले ट्रेंड्स को देखें तो राज्य में जिसकी सरकार होती है, लोकसभा चुनाव वही पार्टी जीतती है। लोकसभा चुनाव के लिए न कोई मुद्दा है, न नारा। यहां भाजपा और कांग्रेस ने उपस्थिति के लिए प्रत्याशी उतारे हैं।





बाइचुंग भूटिया रोड शो और सभाओं में सीटी (चुनाव चिह्न) बजा रहे हैं। वे कहते हैं ‘सीटी बजाकर ही एसडीएफ (सत्ताधारी दल) को रेड कार्ड (बाहर का रास्ता) दिखाया जाएगा। ईमानदार पार्टी की जरूरत महसूस की जा रही थी, इसलिए पार्टी बनाई।’ एसडीएफ प्रमुख पवन कुमार चामलिंग बतौर मुख्यमंत्री  25 साल पूरे कर लंबे कार्यकाल का रिकाॅर्ड बना चुके हैं लेकिन इस बार लोग बदलाव के मूड में हैं। दिनेश थापा कहते हैं ‘लोग चेंज चाहते हैं। भ्रष्टाचार भी एक वजह रहेगी।’



 



मुख्य विपक्षी दल एसकेएम ने भी भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया है। चामलिंग सरकार में मंत्री रहे एसकेएम के मुखिया पीएस गोले भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं। प्रवक्ता जैकब खालिंग इसे एसडीएफ की साजिश बताते हैं। वे बोले- ‘भ्रष्टाचार के आरोप तो सरकार पर है।’ पार्टी ने इंद्र हंग सुब्बा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं एसडीएफ ने मौजूदा सांसद पीडी राय की जगह डीबी काट्टेल को टिकट दिया। यहां कांग्रेस ने भरत बस्नेत और भाजपा ने लातेन शेरपा को बतौर उम्मीदवार मैदान में 

उतारा है।



 



4.23 लाख में से 50% मतदाता युवा



सभी की नजर युवा मतदताओं पर है। एसडीएफ, एसकेएम व भाजपा ने युवाओं को टिकट दिया है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आर तेलंग के मुताबिक 4.23 लाख मतदाताओं में से 50 फीसदी 40 वर्ष तक के हैं।



 



मुद्दे : शिक्षित युवाओं के लिए स्थायी रोजगार नहीं हैं। सरकारी नौकरी पर ही सभी की निगाहें। बाइचुंग भूटिया ने एम्प्लायमेंट बोर्ड के गठन का वादा किया है। विपक्ष के लिए भ्रष्टाचार मुख्य मुद्दा।

जातिगत समीकरण: सिक्किम नेपाली वोट निर्णायक। ये मतदाताओं में 75 फीसदी हैं। लेप्चा 15 फीसदी, भूटिया 10 फीसदी व अन्य 5 फीसदी।

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