राजस्थान के प्रतापगढ़ के निनोर में माता पद्मावती के तीन दिवसीय मेले के आखिरी दिन सदियों पुरानी परम्परा की पालना करते हुए श्रद्धालुओं ने दहकते अंगारों पर चलकर अपनी मनोकामना पूरी होने की मन्नत मांगी. इस धधकते अंगारों पर नंगे पांव चलने की परंपरा को चूल के नाम से जाना जाता है. जिले के निनोर में माता पद्मावती के 3 हजार साल पुराने मंदिर के ठीक सामने चूल का आयोजन किया जाता हैं. माता पद्मावती मंदिर के पुजारी लकड़ियां जलाकर चूल बनाते हैं और सबसे पहले खुद पुजारी चूल पर नंगे पैर चलकर माता पद्मावती के दर्शन करता है और उसके बाद मेले में मौजूद श्रद्धालु नंगे पांव चूल से गुजरने के बाद मां पद्मावती के दर्शन करते हैं. दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर जाने वाले श्रद्धालु अपने परिवार, बच्चों की खुशहाली की कामना करते हैं.