मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील राजीव धवन ने दो सवाल उठाए । पहला सवाल उठा संविधान पीठ में जस्टिस उदय ललित की मौजूदगी को लेकर । दूसरा सवाल था कि संविधान पीठ के गठन का फैसला न्यायिक हो न कि प्रशासनिक । इसके तुरंत बाद जस्टिस ललित ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया । लिहाजा सुनवाई के लिए अगली तारीख मुकर्रर कर दी गई । पिछले 69 सालों से अलग-अलग कोर्ट में अयोध्या मामले की हर सुनवाई पर कमोबेश ऐसे ही तकनीकी पेंच मामले की सुनवाई को स्थगित करवा देते हैं । हालांकि 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला ऐतिहासिक आया । अब देश भर में राम मंदिर को लेकर हो रहा हंगामा और बढ़ता जा रहा है । इंडिया न्यूज़ ने तारीख पर तारीख के बाद अयोध्या में साधु-संतों, आम जनमानस के बीच से ये जानना चाहा कि वो क्या सोचते हैं ।तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख हर बार अगली तारीख को लेकर खुद अयोध्या के आम लोग, साधु-संत क्या सोचते हैं ।
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