सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया, फिर भी देश में तीन तलाक देने का दौर जारी है। अब सरकार तीन तलाक देने वालों के खिलाफ कानून बनाने जा रही है, तो भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को दिक्कत है। नए कानून के लिए द मुस्लिम वीमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल इसी हफ्ते संसद में पेश होने की उम्मीद है, लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध कर रहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के खिलाफ बिल पर चर्चा के लिए 24 दिसंबर को लखनऊ में आपात बैठक बुलाई थी। इस बैठक में कहा गया कि केंद्र सरकार जो कानून बनाने जा रही है, वो संविधान के खिलाफ है। सरकार मुस्लिम पुरुषों का तलाक देने का अधिकार छीन रही है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लग रहा है कि नया कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं को भी परेशानी होगी, क्योंकि तलाक देने के बाद अगर पति को तीन साल की कैद हो गई तो महिला और उसके आश्रित बच्चों को गुजारा-भत्ता कौन देगा ?
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में ही फैसला सुनाया था कि तीन तलाक असंवैधानिक है। मतलब तीन तलाक अगर दिया भी गया तो कानून की नज़र में वो बेमानी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह अमल में लाने के नाम पर ही सरकार कानून बनाने जा रही है। फिर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को क्यों लग रहा है कि कानून बनाने के बाद मुस्लिम महिलाओं की परेशानी बढ़ेगी ? क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मान चुका है कि कानून बनने के बाद भी तीन तलाक का असंवैधानिक चलन जारी रहेगा ? या फिर सचमुच तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए बिल में खामियां हैं ?
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