'ख्वाब हैं, तो मंजिलें हैं' (Khwab Hain, To Manzilen Hain) - By Dipak Kumar Singh

2019-01-13 1

Special thanks to Sunraj Dev and Sanjay Kumar.
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ज़िन्दगी है, तो ख्वाब हैं।
ख्वाब हैं,तो मंजिलें हैं।
मंजिलें हैं, हैं रास्ते हैं ।
रास्ते तो हैं, मुश्किलें हैं।
और मुश्किलें हैं, तो यकीन है
कि जीत हमारी होकर रहेगी।
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Zindagi hai, to khwab hain.
Khwab hain, to manzilein hain.
Manzilen hain, to raste hain.
Raste hain, to mushkilen hain.
Aur mushkilen hain, to yakin hai ki
Jeet hamari hokar rahegi.