सूबे का निज़ाम बदल गया.... सुल्तान बदल गया .... और... बयाबां बदल गया ... मगर.... अंबेडकरनगर के इस गांव की तस्वीर नहीं बदली... और ना ही बदला इस गांव में रहने वाले लोगों के जीने का सलीका.... ये आज भी जहन्नूम की ज़िदंगी बसर कर रहे हैं.... और कल भी नर्क में जी रहे थे... साहब... ये हम नहीं कह रहे... बल्कि आज़ाद भारत की ये बदनुमा तस्वीरें खुद-बा-खुद अपनी बदहाली को चीख-चीख बयां कर रही है...
शर्म को शर्मिंदा कर देने वाली ये तस्वीरें उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर के उस बेलासपुर गांव की है... जिसके विकास के नाम पर सरकार के पास पैसा नहीं है.... मोदी के स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाती इस गांव की बदहाल तस्वीर को लेकर जब भी गांव वाले अफसरों की चौखट पर पहुंचते... उन्हें बजट ना होने का हवाला दिया जाता और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया जाता....
गांव वाले सूबे के मुखिया से लेकर अफसरो तक गुहार लगा चुके हैं... संक्रमण से लेकर महामारी तक की दुहाई दे चुके हैं... मगर साहब है कि सुनते ही नहीं.... अजी सुनने की बात तो छोड़िए... उन्होंने तो कभी इस बदहाल गांव में आकर झांकने तक की जरूरत तक नहीं समझी.... क्योंकि वो साहब जो ठहरे? भला उन्हें इन गांव वालों की परेशानियों से क्या सरोकार?
सीएम साहब... देखा आपने... क्या अपनी प्रजा से ये ही वादा किया था? क्या सवाल आपसे भी है मोदी जी..... क्या ये ही है आपके वो अच्छे दिन? क्या ये ही है आपका वो स्वच्छता अभियान... जो चेहरा देखकर मुंह साफ करता है? क्या इसी जंग खाई व्यवस्था के भरोसे आप 2019 और 2022 फतह करने का दंभ भर रहे हैं... अगर ऐसा है तो माफ साहब.... कंवडल और थैला... साथ-साथ उठा लो.... क्योंकि अगर ये ही हाल रहा तो जनता आपको जवाब देगी.....