दून लिटरेचर फेस्टिवल के समापन पर हिंदी साहित्य की आधारशिला माने जाने वाले भक्तिकाल, कहानी पाठ, कलम के इतर, दलित साहित्य, रेडियो की यादों से जुड़े सत्र में देश भर से पहुंचे साहित्यकारों ने अपने विचार साझा किए उन्होंने लेखकों के साथ घटी घटनाओं का जिक्र करते हुए लेखकों के अवसाद भरे जीवन का जिक्र किया