उम्र बचपन की, तस्वीर पचपन की... जी हां। ये कहावत सुनकर भले ही आपको अटपटा लगे, लेकिन जौनपुर मे एक दलित परिवार के उपर ये लाईन सटीक बैठती है। अज्ञात बिमारी के चलते मासूम दिखने वाले बचपन की तस्वीर... किसी पचपन वर्ष से कम नही... बल्कि ज्यादा ही दिख रही है। बिमारी ने ऐसी दस्तक दी कि परिवार में एक-एक कर 8 लोगों को अपने चपेट में इस कदर जकड़ लिया कि बच्चें भी बूढ़ों जैसे दिखने लगे। बच्चे दो पैर के बजाये तीन पैर के सहारे.... लाठी लेकर चलने लगे।
विकासशील भारत की ये सबसे लाचार तस्वीर उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की है.... जौनपुंर मुख्यालय से महज 65 किलोमीटर दूर मुंगराबाद शाहपुर थाना इलाके के फत्तूपुर कलां गांव में ये एक दलित बस्ती है... जो सरकार के उन बड़े-बड़े दावों की पोल खोलने के लिए काफी है.... जिसमें गरीबों के जीवन को बेहतर बनाने की बात कही जाती है.... क्या सरकारी मशीनरी को इस कदर जंग लग गया है.... जो इस बस्ती तक.... आजतक नहीं पहुंच पाई? आलम ये है.... कि आयुष्मान भारत योजना के तहत दी जाने वाली सहायता से भी इस बस्ती का ये लाचार और बेबस परिवार आजतक वंचित है.... समाचार टुडे की जौनपुर टीम ग्राउंड जीरो से स्टोरी कवर आपको हकीकत से रूबरू करा रही है.... साथ ही सरकारी तंत्र को आइना भी दिखा रही है... जो लाखों रुपये की पगार हर महीने ऑफिस में बैठकर ले लेते है.... समाचार टुडे की इस स्टोरी को देखकर शायद सरकार और उसके कारिंदों की नज़रें इस बेबस परिवार पर इनायत हो गए....