दसवीं मोहर्रम पर हर तरफ हुसैनिरयत जिंदाबाद व यजीदियत मुर्दाबाद की सदा बुलंद रही। गमगीन माहौल और अकीदत के साथ जनपद में एक हजार से अधिक छोटे-बड़े ताजिये को दरगाहे फातमान, सदर इमामबाड़ा लाटसरैया समेत ग्रामीण इलाकों की कर्बला में ठंडा हुआ। गम-ए-हुसैन की याद में खुद को जख्मी करने वालों को देख हर किसी की आंखें डबडबा गई तो ख्वातीन बिलख पड़ी। या हुसैन अलविदा की सदा बुलंद होती रही। अश्कों के बीच ताजिये के अलावा कई इलाकों में ताबूत, अलम व दुलदुल के जुलूस उठाए। घरों और इमामबाडों में भी लोगों ने मातम किया।
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