पूरा देश जनमाष्टमी के मौके पर जश्न में डूबा है। कृष्ण सबके हैं। अमीर-गरीब, राजा-रंक सबके । उनकी शिक्षा सनातन है। युगों-युगों से उसे अमल में लाकर लोगों ने कर्म के बूते भाग्य पर विजय पाई है। ऐसी ही कहानी इस बार एशियाड में दोहराई गई। भारतीय खिलाड़ियों ने अब तक का सबसे उम्दा प्रदर्शन किया। भारत ने कुल 69 पदक जीते हैं। 15 गोल्ड, 24 सिल्वर, 30 ब्रॉन्ज। लेकिन ये पदक किसने जीते हैं। ऐसे लड़कों ने ऐसी बेटियों ने जिन्होंने खुद को देश के लिए खपा दिया। नीरज चोपड़ा के पहले जैवलिन के लिए पिता औऱ चाचा ने जोड़-गांठकर सात हजार रुपए दिए थे, बजरंग पुनिया के पिता ने बस की जगह साइकिल से चलकर बचे पैसे से बेटे की खुराक का इंतजाम किया था, सौरभ चौधरी के मां बाप ने पेट काटकर बेटे की पहली राइफल के लिए दस हजार रुपए जोड़े थे । स्वप्ना बर्मन के माता-पिता ने इधर-उधर से खींच तानकर बेटी की एथलेटिक्स की जरुरतें टूटे-फूटे तरीके से जो पूरी की थीं । सबकी कहानी ऐसी ही है। ये सब कर्म से आज नए भारत के कृष्ण हैं। कैसे जरा उनकी कहानी बारी-बारी से देखिए। पहले नीरज चोपड़ा ।