किसान आंदोलन के 'साइड इफ़ेक्ट', सरकार से खफा, जनता को सजा: MahaBahas

2018-06-02 5

देश के सात राज्यों में 130 से ज्यादा किसान संगठनों की गांव-बंदी का आज दूसरा दिन है । गांव बंदी यानी गांव से बाहर दूध और सब्जियों की सप्लाई बंद । किसानों ने 10 जून तक शहरों और कस्बों की सप्लाई ठप करने का एलान किया है. पिछले साल जून के महीने में ही किसानों का बड़ा आंदोलन हुआ था, जिसकी आग में मध्यप्रदेश झुलसा था. मंदसौर में पुलिस फायरिंग में कई किसानों की मौत हुई थी । इस बार किसानों की गांव-बंदी का सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश में ही दिख रहा है. मंदसौर में ही राहुल गांधी भी 6 जून को किसानों के समर्थन में रैली करने जा रहे हैं.

मध्यप्रदेश के बाद सबसे ज्यादा नाराजगी राजस्थान के किसानों में हैं । श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ से लेकर जयपुर तक किसान सड़कों पर दूध गिरा रहे हैं, सब्जियां फेंक रहे हैं. पंजाब में भी किसान आंदोलन की लपटें तेज़ होती जा रही हैं । पंजाब के भठिंडा, मोगा, लुधियाना में किसान सड़कों पर हैं और मंडियां धीरे-धीरे खाली होती जा रही हैं. किसान आंदोलन की आंच यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक महसूस होने लगी है । सभी जगह किसानों की एक ही मांग है कि उन्हें अपनी उपज की वास्तविक लागत से डेढ़ गुना दाम मिले.

किसानों के आंदोलन से दिल्ली, चंडीगढ़, भोपाल समेत देश के सभी शहरों में सब्जियों की सप्लाई पर असर पड़ना शुरू हो गया है. । मंडियों में सब्जियों के दाम बढ़ने लगे हैं. अब आशंका ये है कि अगर 10 जून तक किसानों का पारा यूं ही चढ़ा रहा, तो कहीं मंडियों में महंगाई की आग ना भड़क जाए.

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