गुस्सा, दर्द और शर्म में लिपटी ये मां और बेटे की कहानी

2018-05-16 1

132 करोड़ की आबादी वाले इस देश को सभ्यता, संस्कृति और संस्कार वाला देश कहा जाता है । हमारे देश में देवियों को मां कहा जाता है । यानी जिनकी हम पूजा करते हैं उन्हें मां के नाम से पुकारते हैं । हर घर में जब एक बच्चा पहली बार मुंह खोलता है तो मां बोलता है । मां एक ऐसा शब्द है, जिससे प्यार और दुलार टपकता है । हम और आप सभी लोग देखते रहे हैं कि एक मां कष्ट सहकर अपने बच्चों को पालती है, बड़ा कर देती है, लेकिन कुछ बेटे ऐसे होते हैं जो बुढ़ापे में मां की सेवा तो नहीं ही करते, उल्टा उन पर सितम ढाते हैं । देखिए गुस्सा, दर्द और शर्म में लिपटी ये कहानी ।

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