न नमी, न सीलन। बनने के चार साल बाद भी मजदूर खुदरू का घर जस का तस है। यही नहीं बाहर चिलचिलाती धूप और गर्मी के बावजूद अंदर का वातावरण कूल-कूल बना हुआ है। खुदरू के इस लखटकिया घर की कामयाबी के बाद इसे बनाने वाली संस्था ने सरकार से इस तकनीक को गरीबों के लिए बन रहे घरों में इस्तेमाल करने की गुजारिश की है।