living life on tied bound in gonda

2018-02-16 0

जैसे-जैसे शाम गहराती जाती है, वैसे-वैसे यहां स्याह काली रात का पर्दा घना होता जाता है। गुर्राती घाघरा के सैलाब के बीच यहां दर्द की सिसकियां गूंजने लगती हैं। चारों ओर पानी ही पानी उफनाता दिखाई देता है तो जिंदगी से जूझने की जद्दोजहद का चांद निकल पड़ता है। ‘हिन्दुस्तान’ ने गुरुवार शाम से लेकर गहराती रात के बीच बाढ़ से जूझते लोगों की तकलीफों की पड़ताल की। सैलाब के कहर के बावजूद बाढ़ पीड़ितों का जिंदगी से जूझने का गजब का जज्बा दिखाई दिया।