Tapeshwari Temple in kanpur uttar pradesh II कानपुर: तपेश्वरी देवी मंदिर

2018-02-08 4

तपेश्वरी मंदिर
बिरहाना रोड स्थित तपेश्वरी मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस मंदिर में मां सीता पूजन के लिए आती थी। यहां तक कि इस मंदिर में माता सीता ने लव और कुश का मुण्डन संस्कार भी कराया था। इस मांगलिक कार्य की वजह से माता तपेश्वरी देवी को शहर की प्रमुख देवी माना जाता है। मान्यता के चलते नवरात्र पर इस मंदिर में सबसे अधिक मुण्डन व छेदन संस्कार कराए जाते हैं। मंदिर में माता की प्रतिमा के समक्ष वीर हनुमान की प्रतिमा भी रक्षक के रूप में विराजमान है। पुजारी मानते हैं कि मंदिर में सैकड़ों वर्षों से माता का पूजन हो रहा है। मंदिर में माता सीता जी की ओर से प्रज्जवलित ज्योति के आज भी भक्त दर्शन करते हैं।
यह चढ़ता है प्रसाद - नारियल, मिष्ठान प्रमुख रूप से चढ़ता है।
प्रधानपुजारी शिव मंगल दादा के मुताबिक आस्था के केन्द्र की वजह से मंदिर में नवरात्र में लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं। सीता मइया से जुड़ा इतिहास की वजह से मंदिर की प्रसिद्धि काफी दूर तक हैं।
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बाराहदेवी मंदिर
बारहदेवी मंदिर का इतिहास लगभग छह सौ वर्ष पुराना है। मंदिर के कार्यवाहक प्रबंधक ने बताया कि मान्यता है कि बर्रा गांव की बहने अपनी शादी के लिए मना कर रहीं थी। इस पर उनके पिता लठुआ पीर बाबा बेटियों पर शादी का दबाव डाल रहे थे। ज्यादा दबाव डालने पर सभी बहने अपने घर से चली आई जिस पर उनके पिता ने भी उनका पीछा किया। इस पर सबसे बड़ी बहन बाराहा ने अपने पिता को श्राप दे दिया। पिता के बेटियों को छूने पर सभी बेटियां पत्थर की बन गईं तब से मंदिर में देवियों का पूजन होता है। नवरात्र में पट भोर में तीन बजे खुल जाते हैं। आरती के बाद आम भक्तों को दर्शन करने के लिए सुबह चार बजे से अनुमति होती है।
यह चढ़ता है प्रसाद-माता रानी पर मिष्ठान के साथ ही लौंग, पान सहित भी प्रमुखता से चढ़ाया जाता है।
मंदिर के कार्यवाहक प्रबंधक रामेन्द्र शर्मा के मुताबिक नवरात्र पर आज भी बर्रा गांव से सभी देवियों की बारात रात में देवी दर्शन के लिए आती है। मान्यता है कि बेटियों के मना करने के बाद ही देवी मां के दर्शन का पुण्य पूरा होता है।