मां का पांचवा स्वरुप है स्कंदमाता। नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करने लगीं। एक भुजा में भगवान स्कन्द या कुमार कार्तिकेय को सहारा देकर अपनी गोद में लिये बैठी हैं।
कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना जाता है। इसलिए इनकी पूजा से भगवान कार्तिकेय की भी पूजा भी स्वयं हो जाती है। इनकी पूजा से संतान न होने वाली दंपति को संतान की प्राप्ति होती है।
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