मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लिए 2-3 दिसंबर की रात भूलाए नहीं भूल सकती। उस दिन सुबह तो रोजाना की तरह हुई लेकिन सूरज ढलने के बाद लोगों ने जो काली रात देखी उसे आज तक याद करके मन सिहर जाता है। भोपाल के यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकली जहरीली गैस ने तमाम सोते हुए को हमेशा के लिए सुला दिया तो वहीं सैकड़ों लोगों की दुनिया को विरान कर दिया। हर तरफ चीख पुकार मच गई। सड़कों पर पत्तों की तरह लाशें बिछ गईं। सरकारी आकंड़ों की मानें तो उस रात 15 हजार लोगों की मौत हो गई। इतना ही नहीं हजारों लोग जो बचे भी वो बीमार और लाचार हो गए। उनमें से तमाम आज तक अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं। इस त्रासदी के बाद जो बच्चे पैदा हुए उनमें कई विकलांग पैदा हुए तो कई बीमारी के साथ दुनिया में आए। इस पूरी घटना के लिए यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड का तत्कालीन मुखिया वॉरेन एंडरसन को जिम्मेदार बताया गया जिसकी अब मौत भी हो चुकी है। घटना के 32 साल बाद भी इसके पीडि़तों का दर्द जस का तस है।