गंगा किनारे भोर का ठंडा पानी और कार्तिक मास की सुबह की सर्द हवा भी उनका हौसला न तोड़ सकी। सिर पर डाला, कलश और दीपक लिए मुखिया सूर्य देव और छठ मइया को मन ही मन ध्याते रहे। सुबह