अस्ताचलगामी सूर्य को स्मरण कर लाखों श्रद्धालु अर्घ्य दे रहे थे। घाटों के एक ओर गंगा तो दूसरी ओर आस्था हिलोरें ले रही थी। जिधर भी नजर गयी, छठ महोत्सव का सौंदर्य दिखा।