छपिया की पवित्र भूमि पर मानो आसमान से चांद तारो के साथ भगवान् भाष्कर अपना प्रकाश बिखेरने स्वयं चले आये हो। मौका था भगवान् घनश्याम महराज जन्मोत्सव का।