घूमते चाक पर रखी मिट्टी से 65 वर्षीय लालचंद पंडित कभी दीया गढ़ रहे हैं, तो कभी गुल्लक बना रहे हैं। इनके हाथ लगते ही जैसे गीली मिट्टी खुद व खुद आकार ले रही है।