झारखंड के हजारीबाग जिले में एक टाइगर ट्रैप है। कहा जाता है कि आज से 80 साल पहले यहां के राजा-महाराजा शौकिया तौर पर बाघों का शिकार करते थे। बाघों को फंसाने के लिए भी टाइगर ट्रैप भी बनवाया गया था। 30 फीट की परिधि वाला 40 फुट का गहरा गढ्ढा एक 60 फुट लंबी सुरंग से जुड़ता था। इस गढ्ढे के बीचोंबीच एक बेलनाकार स्तंभ के सबसे ऊपर बकरी को बांध दिया जाता था। बाघ जब शिकार पर झपट्टा मारते थे तो इस गढ्ढे में गिर जाते थे। इसके बाद सुरंग से होकर बाघ का शिकार कर लिया जाता था।