असम देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसका एनआरसी है। इसे पहली बार 1951 में तैयार किया गया था। उस वक्त राज्य के नागरिकों की संख्या 80 लाख थी। असम में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों का मामला बहुत बड़ा मुद्दा रहा है। जिस वजह अक्सर यहां हिंसक घटनाएं होती रहती हैं। असम के मूल नागरिकों का मानना है कि अवैध रूप से यहां आकर बसे लोग उनका हक मार रहे हैं।
बता दें कि इस मुद्दे को लेकर 80 के दशक में बड़ा आंदोलन हुआ था, जिसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ। इस समझौते में तय हुआ कि 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे हैं, उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को राज्य से निष्कासित कर दिया जाए।