उत्तर कोरिया पर अमेरिका ने बरसाए बम, रातों-रात राख बना दिया आधा उत्तर कोरिया
अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों देश लगातार एक-दूसरे को न्यूक्लियर वॉर की धमकी भी देते रहते हैं।
असल में उन्नीस सौ पचास की नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया की जंग को हमेशा से अमेरिका और रूस की जंग के तौर पर देखा जाता रहा है। जहां अमेरिका ने साउथ कोरिया का सपोर्ट किया था, वहीं नॉर्थ कोरिया को रूस का सपोर्ट था। करीब तीन साल तक चली इस जंग में इन देशों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। इस दौरान सबसे ज्यादा तबाही नॉर्थ कोरिया में अमेरिका के बमवर्षक विमानों ने मचाई थी। अमेरिका ने नॉर्थ कोरिया पर छह लाख पैंतीस हज़ार नापलाम बम गिराए थे, जिससे देश के हजारों गांव-शहर राख के ढेर में बदल गए थे।
जंग की शुरुआत में अमेरिका को लगा था कि वह आसानी से नॉर्थ कोरिया को हरा देगा, लेकिन यह थ्योरी गलत साबित हुई। दरअसल, नॉर्थ कोरिया को उस दौरान भी चीन और खासतौर से रूस का पूरा सपोर्ट था। नॉर्थ कोरिया के लिए सैन्य साजो-सामान रूस और चीन से पहुंच रहा था।
इसी के चलते अमेरिका के लिए उत्तर कोरिया को चीन और सोवियत संघ से मिलने वाली सप्लाई लाइन को काटना बहुत जरूरी हो गया था। इसकी जिम्मेदारी सेकंड वर्ल्ड वॉर के हीरो माने जाने वाले तत्कालीन जनरल डगलस मैकअर्थर को दी गई। इसके बाद युद्ध की दिशा बदल गई। डगलस जानते थे कि नॉर्थ कोरिया की बड़ी संख्या वाली आर्मी को जमीन पर हराना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने सप्लाई लाइन खत्म करने के लिए एयरफोर्स को ताबड़तोड़ लापलाम बम गिराने का ऑर्डर दिया।
डलगस का ऑर्डर मिलते ही अमरीका के दर्जनों फाइटर जेट्स बी-29 और बी-52 नॉर्थ कोरिया पर आसमान से मौत बरसाने लगे। इन जेट्स में नापलम बम लोड थे। यह बम में एक घातक ज्वलनशील केमिकल भरा होता है, जिससे बम फटने के बाद आग का गुबार दूर-दूर तक के इलाके को अपनी चपेट में ले लेता है।
इन बमों से न सिर्फ नॉर्थ कोरिया को रूस और चीन से होने वाले सप्लाई मार्गो को खत्म किया गया, बल्कि हथियारों के जखीरे को भी निशाना बनाया गया। इससे भारी जान-माल का नुकसान हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन बमों से नॉर्थ कोरिया के 5000 स्कूल, 1000 हॉस्पिटल और छह लाख घर तबाह हो गए थे। इसमें देश की करीब 20 फीसदी आबादी खत्म हो गई थी।
तभी से उत्तर कोरिया अमरीका को अपने सबसे बड़े दुश्मन के तौर पर देखता है और दोनों देशों की यही दुश्मनी अब दुनिया को तीसरे वर्ल्ड वॉर की ओर धकेल रही है।
इस जंग में अमेरिका और यूनाइटेड नेशन एलायड फोर्सेज ने साथ ऑपरेशन चलाकर साउथ कोरिया के शहर इंकोन और राजधानी सियोल को नॉर्थ कोरिया के कब्जे से छुड़ाया था। 1950 से 1953 तक चले कोरिया वॉर में यूएन और साउथ कोरिया की सेनाएं नॉर्थ कोरिया और रूस-चीन जैसी सुपरपॉवर से टक्कर ले रही थीं। इसमें अमेरिका के करीब 33 हजार सैनिक मारे गए थे।